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PARALLEL LIFE (समांतर जीवन)- एक "आश्चर्यजनक संयोग"......

PARALLEL LIFE (समांतर जीवन)- "एक आश्चर्यजनक संयोग"........   पुनर्जन्म की मान्यता तो हमारे हिन्दू धर्म में सदियों से चली आ रही है जिसमे यह माना जाता है की मनुष्य की मृत्यु होने पर केवल शरीर नष्ट होता है न की आत्मा| हिन्दू धर्म के प्राचीन वेद,पुराणों में भी पुनर्जन्म के साक्ष्य मिलते है | कहा जाता है की “आत्मा अजर और अमर है”, जिसका कभी भी विनाश नही हो सकता | 84 लाख योनियों में जन्म लेने के बाद ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है | ऐसा हमारे वेद, पुराणों में कहा गया है | जब व्यक्ति साधना के बल पर सांसारिक दुविधाओं से मुक्त होकर स्वयं को जान लेता है तब जन्म की प्रक्रिया से भी मुक्ति पा लेता है। फिर भी अपनी स्वेच्छा से जन्म धारण कर सकता है। मूल रूप से सभी को अपने पूर्व जन्मों की यादो को भूलना पड़ता है | मृत्यु हो जाने पर आत्मा पुनः जीवन को धारण करता है | प्राचीन वेदों में तो यहाँ तक कहा गया है कि मनुष्य के पिछले जन्म में कर्म के अनुसार ही उसके जन्म का निर्धारण होता है |   हिन्दू धर्म के कुछ लोगो का यह भी मानना है कि एक मनुष्य के जैसे 7 मनुष्य इस संसार में होते है | पुनर्जन्म की ...

भारतीय इतिहास में 1893 ई० का वर्ष ....

भारतीय इतिहास में 1893 ई० के वर्ष को एक परिवर्तन बिन्दु के रूप में देखा जाता है ... परिवर्तन न०-1:- वैसे तो हम भारतीयों को अपनी संस्कृति पर बहुत गर्व है | इसकी डंका तो 1893 ई० में ही बज गया था, स्वामी विवेकानंद जी के द्वारा | जी हाँ, आपने सही सुना उनके द्वारा ही बजाया गया था | जब 1893 ई० में स्वामी विवेकानन्द जी अमेरिका के शिकागो शहर में सितम्बर में हो रहे (सर्व धर्म )सभी धर्मो के सम्मलेन में पहुँचे और सम्मलेन के पहले दिन ही उन्हें दो मिनट बोलने का समय दिया गया| जैसे ही स्वामी विवेकानंद जी ने अपने वक्तव्य का सम्बोधन “ अमेरिका के भाइयो और बहनों ” के साथ शुरू किया, तालियों की गड़गड़ाहट ने न केवल उन्हें, बल्कि भारत को सम्पूर्ण संसार के सर्वोच्य देशो में लाकर खड़ा कर दिया| उस समय उन्हें “ तूफानी हिन्दू ” कहा जाने लगा| परिवर्तन न०-2:- 16 नवम्बर, 1893 ई० को ही एनी बेसेंट भारत आयी और वाराणसी शहर में रहने लगी| उन्होंने भारतीयों से कहा कि, “ मै हृदय से तुम्हारे साथ हूँ और संस्कृति से भी तुम्ही लोगो में से एक हूँ| ” परिवर्तन न०-3:- 1893 ई० में 14 वर्ष के बाद योगीराज अ...

Katsuko Saruhashi's 98th Birthday on 22nd March 2018.

                  Katsuko Saruhashi's 98th Birthday Katsuko Saruhashi   was a geochemist  who made some of the first measurements of carbon dioxide  levels in seawater  and subsequently showed the evidence in seawater and the atmosphere   of the dangers of radio active fall out. Educational Life :-                            Saruhashi was born in  Tokyo   and graduated from the Imperial Women's College of Science (predecessor of  Toho University ) in 1943, she then joined the Meteorological Research Institute which belonged to the Central Meteorological Observatory (later  Japan meteorological agency ), and worked in its Geo chemical Laboratory. In 1950, she started studying CO 2   levels in seawater. At that time, CO 2   levels were not recognized as important and Saruhashi had to develop her own metho...